यदि किसी की पत्नी या प्रेमिका अकारण रूत गयी हो .. या आपस में हमेशा कलह रहता हो तो यह प्रयोग करना चाहिए . यदि किसी कन्या से बातचीत तो होती है .. लेकिन सबकुछ खुला खुला सा नहीं हो .. फिर भी DIL में यह तमन्ना हो की उस कन्या से विवाह हो JAYE तो भी यह प्रयोग किया जा सकता है .
इसका प्रयोग किसी भी माह के कृष्णा पक्ष के पहली तिथि से शुरू किया जाता है . इसके लिए किसी एकांत कमरे में आसान बिछाकर बैठ जाये . साधक का चेहरा उत्तर या पूर्व दिशा की और होनी चाहिए . अपने सामने मात्र एक दीपक और एक अगरबत्ती जला पर्याप्त रहता है . फिर निम्न मंत्र को 108 बार पढ़ना चाहिए
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MANTRA: “KALI CHIDIYA CHIG CHIG BOLE
KALI BANKAR JAYE
‘AMUK’ KO VASH ME KAR KARAYE
NA KARAYE TO YATI HANUMANT
KI AAN “.
ऐसा सप्तमी तिथि तक दुहराया जाता है मंत्र में लिखी अमुक के जगह पर अपनी पत्नी या प्रेमिका का नाम लेना चाहिए अगले दिन यानि अष्टमी को ,, शाकल्य + गुड + गुग्गल + घृत + आपस में मिलकर ईसिस से १०८ बार आहुति अग्नि में दे जाती है बस यह मंत्र काम करना शुरू कर देती है , इसके बाद जब कभी मौका मिले KISI भी खाद्य – पदार्थ पर मंत्र सात बार पढ़कर प्रेमिका या पत्नी को खिला देनी चाहिए। .. बस समस्या समाधान के रस्ते सामने आ जाते है
यदि इस क्रिया से समस्या समाधान के रस्ते तुरंत न खुले तो कोई आश चारी की बात नहीं .. क्योंकि विपरीत गृह के कुप्रभाव के कारन समुचित फल नहीं मिल पता है . AISE ME गढ़ शोधन के उपाय भी कर लेनी चाहिए .
जन्मांग में यदि प्रेम विवाह का योग न हो तो यह तंत्र निष्फल हो जायेगा . यदि जन्मांग में “तलाक का योग ” हो तो भी यह प्रयोग निष्फल हो जायेगा . ऐसे में कुंडली परिक्षण करवा लेनी चाहिए और उपाय के अन्य संसाधन के भी प्रयोग कर लेनी चाहिए . इसी तरह की एक और सिद्धि होती है …. अतर मोहिनी सिद्धि . इस सिद्धि के लिए 40 दिनों तक साधना करनी होती है . वैसे सिद्ध अतर को कोई भी अपने ऊपर / वस्त्र पर लगा कर अपने साध्य से मिलकर अनुकूल प्रभाव दाल सकता है . मैंने सिद्ध की हुई अतर मोहिनी को .. बहुतों को दिया …. सभी के चेहरे पर मैंने ख़ुशी युक्ता रहस्य्मयी मुस्कान देखे . यह देख कर तो मई यही अंदाज लगा सकता हूँ की , उनको मनो -वांछित सफलता हासिल हो गयी .
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